Radha Ashtami 2022 : हिंदुओं का एक पवित्र दिन के रूप में जाना जाता है इस दिन को श्री हरि प्रभु भगवान कृष्ण की मुख्य पत्नी श्री राधा रानी जी का जन्म हुआ था इसी के उपलक्ष में हिंदुओं द्वारा राधा अष्टमी का व्रत एवं त्यौहार या जन्मदिन मनाया जाता है| जब राधा रानी जी का जन्म हुआ भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को उनके जन्मस्थान बरसाना एवं ब्रज के पूरे स्थान पर उत्साह का माहौल मनाया जाता है जिससे कि यह पता चलता है कि लोगों द्वारा सामाजिक जीवन में नियंत्रित, सांस्कृतिक, धार्मिक, आस्था, एवं प्रणाली रूप से लोगों ने “Radha Ashtami” का त्यौहार किया है|
राधा अष्टमी का इतिहास-History of Radha Ashtami
radha ashtami 2022 : स्कंद पुराण की माने तो विष्णु खंड में उल्लेखित है कि, भगवान श्री हरि कृष्ण की 16000 गोपियां थी | जिसमें से बात की जाए श्री राधा रानी की तो उन गोपियों में इनकी अस्थान सबसे ऊपर या यूं कहने की सबसे प्रमुख या स्थान राधा जी का था| बात करें हिंदू कैलेंडर के हिसाब से तो राधा रानी का जन्म भारत के उत्तर प्रदेश के बरसाना रावल शहर में अनुराधा क्षेत्र में भाद्रपद नक्षत्र के महीने में एवं शुक्ल पक्ष के आठवीं अष्टमी को हुआ था |
एग्रो-नियर कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म लगभग तिथि 23 सितंबर 3221 ईसा पूर्व बुधवार को हुआ था| देवी राधा कहा जन्म आकाश मीत रूप से दिखाया गया है| राजा बीजभानु और उनकी पत्नी कृतिका द्वारा एक तालाब में स्वर्ण कमल के ऊपर राधा रानी को पाया गया था| समाजिक लोक कथाओं के अनुसार कहा जाता है’ की राधा रानी ने अपनी आंखें तब तक नहीं खोली जब तक कि श्री हरि भगवान कृष्ण उनके सामने स्वयं ही प्रकट नहीं हुए थे,
राधा अष्टमी की उपवास एवं व्रत कैसे रखें-Radha Ashtami fasting and how to keep fast
परंपरागत रूप से देखा जाए तो वैष्णो वाघोडिया जिसमें इस काम भक्त शामिल हैं वह राधा रानी का राधा अष्टमी के दिन उपवास के समय आमतौर पर यही देखा गया है, कि इस दिन आधे समय तक उपवास रखते हैं वही एकादशी की तरह कुछ भक्त पूरे दिन उपवास का नियमित रूप से पालन करते हैं और तो और कुछ बिना पानी के भी बिना कुछ ग्रहण किए भी इस दिन राधा रानी का जलाधि-विशेष करते हैं|
Radha Ashtami 2022
राधा अष्टमी के दिन लोगों द्वारा राधा जी के चरणों को देखा जा सकता है’ बात करें और दिनों की तो राधा जी के चरणों को फूलों से ढक के रखा जाता है राधा अष्टमी के दिन राधा जी के पैर के दर्शन भक्तों द्वारा किया जा सकता है इस दिन सारी मंदिर को फूलों से सजाया जाता है सारी मूर्तियों को पंचामृत से नहलाया जाता है| इस दिन भक्तों द्वारा दिव्य युगल का राधा-कृष्ण उनकी लीला प्रसूति में भक्ति गीत गाते हैं| इस दिन को लंगर और दावत भी लोगों को परोसा जाता है, राधा अष्टमी के दिन मंत्रों को जाप भी किया जाता है| मंत्रों का जाप कुछ इस तरह है, ओम् वृषभानुजय विद्माहे, कृष्णप्रियये धीमहि तन्नो राधा प्रचोदया
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