उत्तर प्रदेश के अधीन सभी विभागीय कार्य तथा उनके द्वारा जारी आधिकारिक वेबसाइट पर होने वाले कार्यों के संबंधित संपूर्ण जानकारी |
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DEPARTMENT OF ADDITIONAL SOURCES OF ENERGY, GOVERNMENT OF UTTAR PRADESH
http://upneda.org.in/ :- Uttar Pradesh New & Renewable Energy Development Agency
राज्य के विकास के साथ ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ रही है। सीमित पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों और उनके सीमित दोहन और बढ़ते हुए, नए और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के आधार पर ऊर्जा के पर्यावरण प्रदूषण उत्पादन को देखते हुए और उच्च प्राथमिकता और संवर्धन दिया जा रहा है। ऊर्जा उत्पादन की मुख्यधारा में भाग लेने के लिए नए और अधिक अवसर स्पष्ट हो रहे हैं।
बायोमास और लघु जलविद्युत के साथ-साथ मेगावाट सौर ऊर्जा पर आधारित प्रमुख परियोजनाओं की स्थापना के लिए मार्ग प्रशस्त किए जा रहे हैं। राज्य में ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा उत्पादन और छत बिजली उत्पादन की दिशा में काम किया जा रहा है। निस्संदेह, अब हम उस लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं जिसकी परिकल्पना एजेंसी के गठन के समय की गई थी।
Administrative Reforms Department | Government Of Uttar Pradesh
http://www.adminreform.upsdc.gov.in/en-us/
राज्य सरकार ने भूतपूर्व मुख्य मंत्री गोविन्द बल्लभ पन्त की अध्यक्षा में 1952 में एक अनुशासनिक कार्यवाही जॉच समिति (Disciplinary Proceedings Inquiry Committee) की स्थापना की थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में अन्य संस्तुतियों के अतिरिक्त एक संस्तुति यह भी की थी कि ”संगठन एवं विधि (Organisation and Method)” का कार्य करने के िलए सचिवालय स्तर पर एक ”विधि एकक (Method & Unit)” स्थापित किया जाय।
Department of Agriculture | पारदर्शी किसान सेवा योजना
UP Department of Agriculture :- कृषि विभाग का मूल उद्देश्य कृषि विकास की दर को गति प्रदान करने के साथ-साथ फसलोत्पादन तथा उत्पादकता में वृद्धि करना है, जिससे प्रदेश के कृषकों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर उनके जीवन-स्तर को ऊपर उठाया जा सके। इसके अतिरिक्त प्रदेश के क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के लिए क्षेत्र विशेष हेतु उपयुक्त योजनाओं का क्रियान्वयन एवं कृषकों को रोजगार के नये अवसर प्रदान करना है।
Department of Agriculture की वर्ष 1875 में स्थापना की गयी। प्रारम्भ में Department of Agriculture का कार्य कृषि सम्बन्धी आँकड़ों के संकलन तथा आदर्श प्रक्षेत्रों की स्थापना तक ही सीमित था। वर्ष 1880 में Department of Agriculture को भू-अभिलेख विभाग से सम्बद्ध कर दिया गया। गवर्नमेन्ट आफ इण्डिया एक्ट-1919 के पारित होने के उपरान्त कृषि क्षेत्र राज्य सरकार के अधीन हो जाने के फलस्वरूप कृषि विभाग को 01 दिसम्बर, 1919 से एक स्वतंत्र विभाग बनाया गया तथा 1 मई, 1920 को इसकी विधिवत् स्थापना हुई।
विभाग के तत्कालीन क्रियाकलापों में कृषि क्षेत्र यथा- उपज पालन, भूमि संरक्षण, गन्ना उत्पादन, उद्यान एवं कोलोनाइजेशन सम्बन्धी गतिविधियों का समावेश था। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् गन्ना विभाग के गठन के फलस्वरूप गन्ना उत्पादन सम्बन्धी कार्य नवगठित विभाग में समाहित कर दिया गया। इसी क्रम में कृषि विपणन को भी कृषि विभाग से अलग किया गया है।
AGRICULTURAL RESEARCH AND EDUCATION | कृषि अनुसंधान और शिक्षा
दिसंबर, 1973 में कृषि मंत्रालय में (DARE) की स्थापना की गई थी।
(dare) देश में कृषि अनुसंधान और शिक्षा का समन्वय और संवर्धन करता है। इसके प्रशासनिक नियंत्रण में निम्नलिखित चार स्वायत्त निकाय हैं:
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)
- केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (CAU), इंफाल
- डॉ। राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, बिहार
- रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी, उ.प्र
DARE Indian Council of Agricultural Research (आईसीएआर), पूरे देश में बागवानी, मत्स्य पालन और पशु विज्ञान सहित कृषि में अनुसंधान और शिक्षा के समन्वय, मार्गदर्शन और प्रबंधन के लिए प्रमुख अनुसंधान संगठन के लिए आवश्यक सरकारी संपर्क प्रदान करता है। 97 से अधिक आईसीएआर संस्थानों, 53 कृषि विश्वविद्यालयों, 6 ब्यूरो, 18 राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्रों, 25 परियोजना निदेशालयों और 89 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं के साथ देश भर में फैले यह दुनिया के सबसे बड़े राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणालियों में से एक है।